देशभक्त नेताजी (कहानी ) #सिफ़र
मंत्री
जी ऑफिस के आलिशान एयर कंडिशनिंग रूम में बैठकर काजू बादाम खाते हुए टीवी
देखने में व्यस्त हैं। तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई , दस्तक देने वाले ने अंदर
आने की अनुमति मांगी। मंत्री जी ने अंदर आने को कहा। मंत्री जी के पी.ए.
त्रिपाठी जी अंदर दाखिल हुए। मंत्री जी ने पुछा ''कहिये त्रिपाटी जी''
त्रिपाठी जी बोले ''सर अग्रवाल जी आये हैं, आपसे मिलने की अनुमति चाहते हैं
''। मंत्रीजी ने पूछा ''कौन अग्रवाल जी ?'' । त्रिपाठी जी ने जवाब दिया
''सर वो बायोटेक इंडस्ट्रीज़ वाले जो पिछले महीने अपने प्रोडक्ट के लाइसेंस
के सिलसिले में आपसे मिलने आये थे, अभी तक उनको लाइसेंस नहीं मिला है ''।
मंत्री जी ने पुछा ''क्यों नहीं मिला''। त्रिपाठी जी मुस्कुराते हुए बोले
''सर उन्होंने फीस जमा नहीं की थी''। मंत्री जी ने हल्का ठहाका लगाया और
बोले ''ठीक है 5 मिनट उन्हें बाद अंदर भेजो''। त्रिपाठी जी सुनकर बाहर चले
गए। मंत्री जी ने रिमोट उठाया टीवी बंद की, काजू बादाम की प्लेट को एक
तरफ सरकाया और टेबल पर रखी फाइलों में से एक फाइल खोल ली।
5
मिनट बाद अग्रवाल जी ने दरवाज़े पर दस्तक देकर अंदर आने की अनुमति मांगी।
मंत्री जी ने अनुमति देकर पूरा ध्यान फाइल पर लगा दिया जैसे कोई बहुत ज़रूरी
फाइल का अध्ययन कर रहे हों। अग्रवाल जी ने अंदर आकर मंत्री जो को हाथ
जोड़कर नमस्ते किया। पीछे पीछे पी.ए. त्रिपाठी भी अंदर दाखिल हुए। मंत्री
जी फाइल के अध्ययन में व्यस्त हैं। मंत्री जी बिना फाइल से नज़रें उठाये हाथ
के इशारे से बैठने को कहा। थोड़ी देर बाद फाइल बंद करके टेबल पर रखते हुए
अग्रवाल जी की तरफ देखकर हालचाल पूछने के बाद बोले ''कहिये अग्रवाल जी क्या
सेवा कर कर सकता हूँ में आपकी ?''। अग्रवाल जी बोले सर 2 महीने लाइसेंस के
लिए अप्लाई किया, नियमनुसार इतने वक़्त में लाइसेंस मिल जाना चाहिए था।
पिछले महीने आपसे इस सिलसिले में मुलाक़ात की थी लेकिन अभी तक पेंडिंग में
है। मंत्रीजी जी चेहरे पर बनावटी गुस्से के भाव लाते हुए पी.ए. की तरफ
देखकर कहा '' त्रिपाठी जी अभी विभागीय अधिकारी फ़ोन करके पता कीजिये अग्रवाल
जी का काम क्यों नहीं हुआ है''। त्रिपाठी जी खिसियानी हंसी हँसते हुए
बोले ''सर मैंने विभाग के अधिकारिओं से बात की थी इस बारे में, दरसल
अग्रवाल जी की फाइल में कुछ पेपर पूरे नहीं थे इसलिए लाइसेंस इशू नहीं हो
पाया है'' । अग्रवाल जी बोले ''सर हमारी में फाइल कोई पेपर कम नहीं था,
मैंने खुद अच्छी तरह से चेक करने के बाद ही फाइल सबमिट करवाई थी''।
मंत्रीजी हँसते हुए बोले ''अरे अग्रवाल जी कभी-कभी जल्दबाज़ी में ध्यान नहीं
रहता हो सकता है आप कोई ज़रूरी पेपर भूल गए हों, त्रिपाठी जी आपको बता
देंगे कौनसा पेपर जमा करना है, आप बिलकुल चिंता मत कीजिए हम तो यहाँ बैठे
ही जनता की सेवा करने के लिए हैं''। ये कहकर पी.ए. की तरफ देखकर मुस्कुराते
हुए बोले ''त्रिपाठी जी अग्रवाल जी को साथ ले जाइये उन्हें बता दीजिये
कौनसा पेपर कम है ? उसे कब और कहां जमा करना है। त्रिपाठी जी बोले ''अग्रवाल
जी मेरे साथ आइये'' । उनके जाते ही मंत्रीजी ने टीवी ऑन कीया और प्लेट से
काजू बादाम उठाकर खाने लगे।
रूम से से बाहर त्रिपाठी जी
अग्रवाल जी से कह रहे हैं ''आप 5 लाख रुपये कैश ले आइये आपका काम हो
जायेगा''। अग्रवाल जी ने कहा ''5 लाख रुपये कुछ ज़्यादा नहीं हैं ?''।
त्रिपाठी जी बोले आपका काम भी तो बड़ा है न, और वैसे भी 5 लाख सिर्फ आपके
लिए हैं वरना कम से कम 10 लाख दूसरों से लेते हैं, वो आप मंत्रीजी के खास
परिचित है सिर्फ इसलिये आपसे कम ही ले रहे हैं, आप ऐसा कीजिये शाम को
मंत्रीजी के बंगले पर पैसे लेकर आ जाइये, कल आपका काम हो जायेगा''। ठीक है
में शाम को आता हूँ''। कहकर अग्रवाल जी चले गए।
अग्रवाल
जी को रवाना करके त्रिपाठी जी मंत्रीजी के रूम में पहुंचे। मंत्रीजी ने
पूछा ''समझा दिया ?'' त्रिपाठी जी बोले जी सर रात को बंगले पर आने को कह
दिया है''। यह सुनकर मंत्रीजी ने ज़ोरदार ठहाका लगाया, त्रिपाठी जी भी
खिसियाते हुए हंसने लगे। मंत्रीजी ने पूछा ''शाम के कार्यक्रम मैं जो
स्पीच देना है, वो स्पीच तैयार हुई ?'' त्रिपाठी जी बोले '' जी सर आपकी
स्पीच तैयार है'' कहकर फाइल में से पेपर निकलकर मंत्री जी को दे दिया।
शाम
के समारोह में मंत्रीजी मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर मौजूद हैं।
मंत्रीजी ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया अब मंच से भाषण दे रहे
हैं ''देश में भ्रष्टाचार लगातार बढ़ रहा है, हमें मिलकर इसे रोकना है ,
हमें मिलकर भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकना होगा, आइये हम सब प्राण लें कि न
भ्रष्टाचार करेंगे और न करने देंगे''। नेताजी के भाषण से पूरा ऑडीटोरियम
तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज रहा है।
लेखक : शहाब खान 'सिफ़र'
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