किताब समीक्षा : The चिरकुट्स - Book Review : The Chirkuts
TThe चिरकुट्स कहानी है इंजीनियरिंग कॉलेज में पड़ने वाले 4 दोस्तों की।
स्वाभाव से चारों बिलकुल अलग होने के बाद भी उनमे बहुत गहरी दोस्ती है।
इन्ही दोस्तों के ग्रुप का नाम है चिरकुट्स। कहानी में लेखक आलोक कुमार जी
ने हॉस्टल और कॉलेज लाइफ को बहुत खूबसूरती के साथ दिखाया है। लेखन का अंदाज़
इतना बेहतरीन है की पड़ते हुए महसूस होता है की दृश्य चलचित्र की तरह आँखों
के सामने मौजूद है।
कहानी
में हास्य, रोमांस, इमोशन सब कुछ है। हर घटना को बहुत खूबसूरती के साथ
प्रस्तुत किया गया है। कई घटनायें है गुड़गुदाती हैं, जिन्हे पड़ते हुए
चेहरे पर मुस्कान आ जाती है जैसे दूध उबलने वाली घटना हो या रैगिंग वाली हो
या कंप्यूटर लैब वाली सभी को हास्य के साथ बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत किया
है, वहीँ कहानी कई जगह भावुक भी करती हैं।
कॉलेज
और हॉस्टल लाइफ पर पहले भी कई किताबें लिखी जा चुकी हैं लेकिन ये किताब
उनसे काफी अलग है। कहानी शुरू से अंत तक पाठक को बांधकर रखती है। हॉस्टल
में होने वाली छोटी छोटी घटनाओं और समस्याओं को बहुत अच्छे अंदाज़ में
प्रस्तुत किया गया। चारों दोस्तों के किरदार को अच्छी तरह से परिचित करवाया
है। हर किरदार के साथ जुड़ाव महसूस होता है । अमित की इंग्लिश बोलने के
अंदाज़ से हर बार पड़ते हुए चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। कहानी में लेखक ने
धर्म जाति के नाम पर भेदभाव की मानससिकता पर प्रहार करते हुए इंसानियत और
समानता का बेहतरीन सन्देश दिया है।
किताब में कुछ खास डायलाग जो बहुत प्रभावी लगते हैं : जैसे
''कॉलेज कुछ और दे न दे, जिंदगी भर के लिए दोस्त जरूर देता है।''
''ऐसा
नहीं है कि कॉलेज में लड़के पढ़ने की कोशिश नहीं करते हैं। वे खूब कोशिश
करते हैं, पर उनके कुछ दोस्त उनकी इस कोशिश पर अपनी दोस्ती का वास्ता फेर
देते हैं। बस उसी दोस्ती को निभाने के चक्कर में 90% लड़कों के 70% नंबर भी
नहीं आ पाते और फिर सारा दोष कॉलेज के सिर पर मढ़ दिया जाता है।''
''इंटरव्यू देने से ज़्यादा मुश्किल उसकी तैयारी करना होता है''
यह
किताब प्रत्येक पाठक को ज़रूर पसंद आएगी ख़ासतौर जिन्होंने हॉस्टल लाइफ को
जिया है यक़ीनन इसे पढ़कर उनकी पुरानी यादें ताज़ा हो जाएँगी। लेखक आलोक कुमार
जी की यह पहली किताब है और अपनी पहली ही किताब में पाठकों प्रभावित करने
में सफल हुए हैं। उम्मीद है भविष्य में हमें आलोक कुमार जी की और कई भी
बेहतरीन किताबें पड़ने को मिलेंगी। लेखक आलोक कुमार जी को बेहरीन लेखन के
लिए साधुवाद और को भविष्य के लिए शुभकामनायें।
शहाब ख़ान 'सिफ़र'
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