न्यूज़ीलैण्ड पर हुए आतंकी हमले पर खुशियां मनाते ज़ोम्बी #सिफ़र
न्यूज़ीलैण्ड में मस्जिद पर हुए आतंकवादी हमले में लगभग 50 लोगों की मौत हुई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं । न्यूज़ीलैण्ड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने इस आतंकी हमले पर कड़ा रोष जताते हुए इसे एक आतंकी कार्यवाही क़रार दिया और इसे देश के लिए एक काला दिन कहा। प्रधानमंत्री ने अपने सभी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम रद्द करके आतंकी हमले में मारे गए लोगों के परिवार से मुलाक़ात की। न्यूज़ीलैण्ड में शोक दिवस घोषित कर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया। न्यूज़ीलैण्ड के लोगों ने इस हमले के खिलाफ एकजुट होकर मोहब्बत और इंसानियत का पैग़ाम देकर सबका दिल जीत लिया लोग इस आतंकी हमले के बाद मस्जिद पहुंचे और उन्होंने हमले की जगह फूल रखे और ये सन्देश दिया की वो मुसलमानों के साथ हैं और इस आतंकी हमले की निंदा करते हैं। अनेकों जगह शोक सभायें की गईं। मस्जिद के बाहर अनेक लोगों ने नमाज़ पढ़कर निकले लोगों को फूल दिए। संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद में क्राइस्टचर्च हमले में मारे गए लोगों की याद में एक मिनट का मौन रखा गया। भारत सहित पूरी दुनिया में लोगों ने इस हमले की निंदा की। एक ऑस्ट्रेलियन सीनेटर ने हमलावर आतंकवादी का समर्थन किया तो ऑस्ट्रेलियाई एक युवक ने उसके सर पर अंडा फोड़कर अपना अपनी असहमति और विरोध जताया। न्यूज़ीलैण्ड की प्रधानमंत्री और और वहां के लोगों ने नफ़रत और आतंक के खिलाफ जो इंसानियत और मोहब्बत का पैग़ाम दिया वो क़ाबिले तारीफ है।
जहाँ एक तरफ पूरी दुनिया में इस इस आतंकवादी हमले की की कड़ी निंदा की जा रही थी वहीँ दूसरी तरफ हमारे देश का मीडिया उस आतंकवादी को आतंकवादी कहने से परहेज़ करता रहा उसे सिर्फ हमलावर कहा गया। पूरी दुनिया में लोगों ने इस हमले की निंदा की और आतंकी हमले में हुई मौतों पर अफ़सोस ज़ाहिर किया। लेकिन हमारे देश में अनेक लोग सोशल मीडिया पर इस आतंकवादी हमले में हुई मौतों पर खुशियां मानते नज़र आये और हमला करने वाले आतंकवादी का समर्थन भी किया। निहायत हैरत और अफ़सोस की बात है की आज कुछ लोगों के दिलों में इतना ज़हर भर चूका है की वो बेगुनाहों की मौत पर खुशियां मना रहे हैं, मैंने ख़ुद फेसबुक पर अपनी फ्रेंडलिस्ट में मौजूद कुछ लोगों की ऐसी पोस्ट और कमेंट देखे जिसमे वो खुशियां मनाते हुए आतंकी हमले में मारे गए लोगों का और इस्लाम का मज़ाक उड़ा रहे थे और उनकी भाषा और शब्द ऐसे थे जिसे यहाँ लिखा भी नहीं जा सकता है।
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Image Courtesy : GETTY IMAGES |
जब कोई किसी बेगुनाह की मौत पर खुशियां मनाये और नफ़रत फ़ैलाये तो समझ लीजिये उसकी इंसानियत मर चुकी है, उसकी आत्मा मर चुकी है। वो अब इंसान नहीं रहा रहा एक ज़ोम्बी बन चूका है। फिल्मों और वीडियो गेम में ज़ोम्बी देखे होंगे जो खुद तो मर चुके हैं अब वो दूसरों का मारना चाहते हैं, ज़ोम्बी को हम सिर्फ एक काल्पनिक किरदार समझते आये थे लेकिन आज नफरत फैलाने ये लोग वाले उन्हीं ज़ोम्बी के जैसे हैं। आज लोगों के दिलों में नफरत का ज़हर भारत उन्हें भड़काकर ज़ोम्बी बनाया जा रहा है, कभी ये ज़ोम्बी भीड़ बनकर किसी बेगुनाह को पीटकर मार डालते है, तो कभी देश के अलग-अलग शहरों में पढ़ाई या काम करने आये बेगुनाह कश्मीरियों के साथ मारपीट करते हैं, कभी किसी रेपिस्ट के समर्थन में तिरंगा लेकर यात्रा निकालते हैं तो कभी किसी हत्यारे को हीरो की तरह पेश करके उसकी झांकी निकालते हैं, तो कभी सोशल मीडिया झुण्ड पर बनाकर लोगों को ट्रोल करते नज़र आते हैं। भारत की पहचान दुनिया में अहिंसावादी गाँधी जी के देश के रूप में है आज उसी गाँधी के देश में ये ज़ोम्बी दिलों में नफ़रत और ज़हर लिए उस पहचान को नुकसान पहुंचने में लगे हैं। ये ज़ोम्बी देश और समाज के दुश्मन हैं इनसे सतर्क रहना होगा और सरकार और प्रशासन को इन पर कठोर कार्यवाही करके इन पर अंकुश लगाना ज़रूरी है।
✍ शहाब ख़ान ''सिफ़र''
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